वो गाँव से निकलकर शहर को रवाना हो गए,, देखते ही देखते बहुत सी ग़जलों का अफसाना हो गए,, खुद को महफूज़ समझ कर बडा इतरात…
क्या-क्या रंग दिखाऐगी तू ए-जिंदगी, मुझे बता कभी बिछडने वालो को भी मिलाऐगी ए-जिंदगी, या फिर यूं ही एक-एक करके सबको दूर कर…
आराम चाहिए इन आँखों को अब आराम चाहिए जो बुझा दे सदियों से प्यासे इन लबों कि प्यास ऐसा एक जाम चाहिए.. लोग कहने लगे है बिना …
मुझे सिखने कि आदत है मगर वो नाराज है.. मुझे पढ़ने की आदत है मगर वो नाराज है.. मुझे लिखने की आदत है मगर वो नाराज…
पानी तेरे सौ रंग रहता हमेशा हमारे अंग-संग इसके बिना नींद न खुले ये जो साथ हो तो होली के पावन अवसर पर सबके एक-दुजे से दिल …
इस तरह से ये जिंदगी रूपी रेत हाथ से फिसल जायेगा मालूम न था,, राजनीति में आकर ये इंसान इतना बदल जायेगा मालूम न …
इक दिल ने जुदाई से पुछा तुम इतनी खतरनाक क्यों हो..? जुदाई ने कहा मुझसे ज्यादा तो बेवफाई खतरनाक है..। अब उस दि…
अल्फाज हमारे थे दर्द हमारा था उन्हें कौन बताए उन्होंने किस मासूम दिल को मारा था,, लगे थे सैकड़ों फूल जिस बगीचे मे उन्हें क…
जख़्म बहुत है उसके शरीर पर मगर भर सके इन जख्मों को ऐसा कोई दवाखाना यहां नहीं मिलता,, दर-दर भटकता रहता है वो पर दो पल ठहर …
जब उनसे नजरें मिली तो सब कुछ अच्छा लगा, हमसे मिलने के बाद उनको हमारी हर गलती से भी अपना हर ख्वाब सच्चा होता लगने लगा, और …
जिम्मेदारियों से लबा लब भरी है झोली मेरी, अब तुम ही बताओं कैसे मैं महोब्बत करलू,, दुख-सुख आते हैं और चले जाते हैं, अब तुम …
वो कातिल निकला मेरे दिल का, हमने भी उनकी रपट लिखवा दी, वो फैसला सुनाने वाला जज भी बडा शातिर निकला, कमजर्फ ने कातिल से ही र…
मंदिरों में भगवान ने रहना छोड़ दिया, मस्जिदों में अल्लाह ने आना जाना छोड़ दिया, और चर्च से गॉड ने भी मुख मोड लिया, जबसे …
अब तो "दर्द" को भी "दर्द" होने लगा है, यारों तुम्हें क्या बताऊं, वो हमें "जिस्म" का भुखा ब…
जब दिल ये मेरा गम-ए-जुदाई मे रोने लगा, यारों, पत्थर को भी उस वक्त "दर्द" होने लगा, यारों, ये काली रातें भी जोर-ज…
मेरी रूह अब उनकी रूह को चाहने लगी है, कैसे कहेगा ये जमाना जिस्मानी प्यार है मेरा, अगर लगती है चोट उनको, तो आँख ये मेरी दर्…
मंजिल को पाने की सबको ही चाह होती है, जो गिरता है सम्भलता है, और उठ कर फिर चलता है, उसके लिए तो मंजिल ही मंदिर,और मंजिल ह…
हिन्दी से सीखा हमने कविता कहानियां और शेरों शायरी करना, अपने अल्फाज़ों के जरिये, लोगों के दिलों में उतरना, किसी को अपना बना…
माँ कैसे रही होगी इस भरी महफिल में, मैं वो बात कहुंगा जो आज तक किसी ने ना कही होगी, और ना ही किसी ने सही होगी, जिस माँ का…
ओडण पहरण का ढंग न था, सोण खातर घर में पलंग न था, जिंदगी में कोये भी रंग न था, मेरे बापू न मेहनत ईतणी करी, अराम-अराम त हर च…
नफ़रतों-के-शहर नफ़रतों के शहर में प्यार बेच आया मैं, बस इक तेरा घर न मिला सारा शहर घुम …