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मंजिल


मंजिल को पाने की सबको ही चाह होती है,
जो गिरता है सम्भलता है,
और उठ कर फिर चलता है,
उसके लिए तो मंजिल ही 
मंदिर,और मंजिल ही दरगाह
होती है,,,
~कुलदीप सभ्रवाल

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