जिम्मेदारियों से लबा लब भरी है झोली मेरी,
अब तुम ही बताओं कैसे मैं महोब्बत करलू,,
दुख-सुख आते हैं और चले जाते हैं,
अब तुम ही बताओं
कैसे इस बराबर रहते तराजू को
एक तरफ भारी करलू,,
~कुलदीप सभ्रवाल
अब तुम ही बताओं कैसे मैं महोब्बत करलू,,
दुख-सुख आते हैं और चले जाते हैं,
अब तुम ही बताओं
कैसे इस बराबर रहते तराजू को
एक तरफ भारी करलू,,
~कुलदीप सभ्रवाल
नफ़रतों-के-शहर नफ़रतों के शहर में प्यार बेच आया मैं, बस इक तेरा घर न मिला सारा शहर घुम …
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