अल्फाज हमारे थे दर्द हमारा था
उन्हें कौन बताए
उन्होंने किस मासूम दिल को मारा था,,
लगे थे सैकड़ों फूल जिस बगीचे मे
उन्हें कौन बताए
उन्होंने किस बगीचे को उजाडा था,,
रहती थी हरदम मुस्कान जिस चेहरे पर
उन्हें कौन बताए
उन्होंने किस मुस्कुराते हुए चेहरे को बिगाड़ा था,,
फूर्सत न थी खुद से जिसको
उन्हें कौन बताए
उन्होंने किस मन मस्त को झकझोरा था,,
जलाये थे लाखो दीप जिसने आस के
उन्हें कौन बताए
उन्होंने किस दीप को तुफान बनकर लताडा था,,
अल्फाज हमारे थे दर्द हमारा था
उन्हें कौन बताए
उन्होंने किस मासूम दिल को मारा था,,
~कुलदीप सभ्रवाल
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