तेरे रास्तों का मुसाफ़िर तेरे रास्तों का मुसाफ़िर तेरे रास्तों का मुसाफ़िर कभी होता था मैं फिर क्यूँ मंजिलों में सूल सा तुम्ह…
तेरी महफिल मे आके खुद को भूल गए.. देखा तुझे जिस-जिसने इक मरतबा वो फिर घर का पता भूल गए.. निकल आये थे जिस रास्ते पे हम वो …
नफ़रतों-के-शहर नफ़रतों के शहर में प्यार बेच आया मैं, बस इक तेरा घर न मिला सारा शहर घुम …