अब तो "दर्द" को भी "दर्द" होने लगा है,
यारों
तुम्हें क्या बताऊं,
वो हमें "जिस्म" का भुखा बोलकर,
खुद किसी और कि "बाहों" में
"सोने" लगा है,
यारों
तुम्हें क्या बताऊं,,
~कुलदीप सभ्रवाल
यारों
तुम्हें क्या बताऊं,
वो हमें "जिस्म" का भुखा बोलकर,
खुद किसी और कि "बाहों" में
"सोने" लगा है,
यारों
तुम्हें क्या बताऊं,,
~कुलदीप सभ्रवाल
Hello dosto! Aaj hum aapke liye ek bahut hi special aur heartfelt poem lekar aaye hain…
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