बडा सुंदर सा ख्याल हो तुम
मेरे मुस्कूराते हुए चेहरे का सवाल हो तुम..
दिल को अर्सो से तलाश थी
बिल्कुल वोही सुर और ताल हो तुम..
अनजाने में कह बैठा जिंदगी को माया जाल
मगर जिंदगी से बढकर माया जाल हो तुम..
इक रोज जिक्र हुआ था कोहीनूर का
और मुझे लगता है उस कोहीनूर कि
शान हो तुम..
मुद्दत हो गई थी कोई करिश्मा देखे हुए
तुम्हें देखा तो ऐसा लगा जैसे करिश्मों कि
पहचान हो तुम..
बडा सुंदर सा,मासूम सा ख्याल हो तुम..!
~कुलदीप सभ्रवाल
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