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बापू से बड़ा



ओडण पहरण का ढंग न था,

सोण खातर घर में पलंग न था,

जिंदगी में कोये भी रंग न था,

मेरे बापू न मेहनत ईतणी करी,

अराम-अराम त हर चीज कि घर मे मोज करी,

एक सनम कि महफिल में हमारा जाना हुआ,

और सब अपने-अपने सनम के साथ आये,

और मेरे पास मेरे बापू से बडा़

कोई सनम न था,,,


                       ~कुलदीप सभ्रवाल

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