क्या-क्या रंग दिखाऐगी तू ए-जिंदगी,
मुझे बता कभी बिछडने वालो को भी मिलाऐगी
ए-जिंदगी,
या फिर यूं ही एक-एक करके
सबको दूर करती जायेगी
तू ए-जिंदगी,,
मेरी हिम्मत का कब तक जायजा लेती रहेगी
मैं हर बार खडा हो जाऊंगा
जब-जब जितना तू गिराऐगी
ए-जिंदगी,,
मानता हूँ हर महकते फूल को तुने मुरझा दिया है
मगर उस चाँद को तू कहाँ तक मुरझा पाऐगी
ए-जिंदगी,,
मुझे आवारा समझने कि कोशिश कतई मत करना
मगर इतना बता तू मंजिल को होसलों से कब तक
छिपाऐगी ए-जिंदगी,,
इन भयंकर तुफानो से दीप को डरा रही हो
इस लो पकडते चिराग को तू कितना भुझाऐगी
ए-जिंदगी,,
हर तीर को कमान पर चड्ढा कर तू रखले
मगर इन तीरों से समुंद्र को कहाँ तक चीर जाऐगी
ए-जिंदगी,,
क्या-क्या रंग दिखाऐगी तू ए-जिंदगी,
मुझे बता कभी बिछडने वालो को भी मिलाऐगी
ए-जिंदगी,,
या फिर यूं ही एक-एक करके
सबको दूर करती जायेगी
तू ए-जिंदगी,,
दीप...3337
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