जिम्मेदारियों से लबा लब भरी है झोली मेरी, अब तुम ही बताओं कैसे मैं महोब्बत करलू,, दुख-सुख आते हैं और चले जाते हैं, अब तुम …
इस देश की मिट्टी को गोर से देखना भी तो प्यार है, जब इस मिट्टी का कुम्हार अपने हाथों से करता श्रृंगार है, तब ये मिट्टी बन ज…
नफ़रतों-के-शहर नफ़रतों के शहर में प्यार बेच आया मैं, बस इक तेरा घर न मिला सारा शहर घुम …