मेरी रूह अब उनकी रूह को चाहने लगी है,
कैसे कहेगा ये जमाना जिस्मानी प्यार है मेरा,
अगर लगती है चोट उनको,
तो आँख ये मेरी दर्द भरे आँसू बरसाने लगी है,
मुस्कुराते वो भी बहोत है,
और मुस्कुराते हम भी बहोत हैं,
नजरें हम झुकाते हैं,
तो सरमाने वो भी लगी है,
सब गमों को भुलाकर
खुदा से सिर्फ उनके लिए दुआ करते हैं,
पर देखने कि बात है,
यारों,
मंदिर जाने वो भी लगी है,,,
~कुलदीप सभ्रवाल
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