नये किस्म का नाटक ★रै बिखरे पड़े है मोती ये आज फर्श प कुकर अर तेरे ये खुले बाल तेरे दिल का हाल बतावै सै तनै दर्द का सच में …
~ओलाद का पता~ बेरोजगारी मै सच्ची यारी का पता लागै है माँ-बाप की लाचारी मै आच्छी-मांडी ओलाद का पता लागै है, जद घर मै बैठी …
वा बैठी डोल पै बुंदा कि आस लगाये खेत मै भ्रथार हल जोड रहा वा रोटी लाई बनाये वा बैठगी डोल पै बुंदा कि आस लगाये,, पाटया होया…
रै गाडण जोगे तनै यो के काम करया रै, एक भुंडी सी छोरी खातर, इतणा इज्जत दार, इतणा प्यारा सा बाबू, तनै भरे गाँव में बदनाम करय…
नफ़रतों-के-शहर नफ़रतों के शहर में प्यार बेच आया मैं, बस इक तेरा घर न मिला सारा शहर घुम …