वा बैठी डोल पै बुंदा कि आस लगाये खेत मै भ्रथार हल जोड रहा वा रोटी लाई बनाये वा बैठगी डोल पै बुंदा कि आस लगाये,, पाटया होया…
खुशबू आती है मुझे मेरी मिट्टी से, और लगता है जैसे इस मिट्टी में खुदा रहता है, बड़ा ही अच्छा लगता जब कोई मुझे हरियाणवी कह…
नफ़रतों-के-शहर नफ़रतों के शहर में प्यार बेच आया मैं, बस इक तेरा घर न मिला सारा शहर घुम …