जब-जब करता हूँ इबादत उसे पाने की,
हर बार लोट आती है दुआ इस दीवाने कि..
खर्च हो रही सांसें धिरे-धिरे से,
मगर उसे फिक्र कहाँ है परवाने कि..
हर बार लोट आती है दुआ इस दीवाने कि
वो तोडने वाले थे रश्मों-रिवाजों को,
लेकिन फुर हो गई सब कसमें,वादे वफा उस मस्ताने कि..
हर बार लोट आती है दुआ इस दीवाने कि
दिल देकर दिल का रिश्ता बनाया था,
और फिर अचानक से
रिश्ते को नजर लग गई जमाने की..
हर बार लोट आती है दुआ इस दीवाने कि
ए-दीप तु बहोत बुरा इंसान है,
वरना किसे जरूरत नही है मैखाने कि..
हर बार लोट आती है दुआ इस दीवाने कि
~कुलदीप सभ्रवाल
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