मंजिल को पाने की सबको ही चाह होती है, जो गिरता है सम्भलता है, और उठ कर फिर चलता है, उसके लिए तो मंजिल ही मंदिर,और मंजिल ह…
नफ़रतों-के-शहर नफ़रतों के शहर में प्यार बेच आया मैं, बस इक तेरा घर न मिला सारा शहर घुम …