माँ कैसे रही होगी
इस भरी महफिल में,
मैं वो बात कहुंगा जो आज तक किसी ने
ना कही होगी,
और ना ही किसी ने सही होगी,
जिस माँ का सिर्फ एक बेटा,
शहीद,
भला वो माँ कैसे रही होगी,
शहीद बेटा,
और बेटे बिन बाप कंगाल,
भला ऐसे बाप के दिल पे क्या बित रही होगी,
बचपन से जो बहना,
अपना हक का खिलाती आई,
ये खबर सुनकर ही यारों वो तो जिते-जी मर गई होगी,
जिस माँ का सिर्फ एक ही बेटा,
शहीद,
भला वो माँ कैसे रही होगी,,,
देश के लिए दी शहादत जिसने अपनी जान कि,
फिर क्यों एक शहीद की और आम एक्सिडेंट मे मिलने वाली राशि इन लोगों ने समान कि,
ऐसी सिचुएशन मे उस शहीद की आत्मा
ये बातें अपमान कि
चिख-चिख कही होगी,
जिस माँ का सिर्फ एक ही बेटा,
शहीद,
ए- दीप अब तू ही बता भला वो माँ
कैसे रही होगी,,,
~कुलदीप सभ्रवाल
0 Comments