~ओलाद का पता~
बेरोजगारी मै सच्ची यारी का पता लागै है
माँ-बाप की लाचारी मै
आच्छी-मांडी ओलाद का पता लागै है,
जद घर मै बैठी हो छोरी कुवाँरी
दहेज़ नाम भी बहुत बुरा लागै है
लेकिन छोरया के ब्याह मै यो क्यूँ
सब ने शहद की तरियाँ लागै है,
माँ-बाप की लाचारी मै
आच्छी-मांडी ओलाद का पता लागै है,
इस नफरत भरे समाज में
दामन बहोतां का दागदार हो रह्या है
अर सोचण कि बात है सब ने अपना-अपना खंडका
बहोते प्यारा लागै है,
माँ-बाप की लाचारी मै
आच्छी-मांडी ओलाद का पता लागै है,
ये इंसान उड़ण के सपने देंखे सै
मगर आसमान में उड़दे परिंदे
बेरया नी क्यूँ इन्नै इतने मांडे लागै है
माँ-बाप की लाचारी मै
आच्छी-मांडी ओलाद का पता लागै है,
यो दीप लोहारी आला
बडी-बडी बात मारया करदा
इब इसने अपनी जिंदगी किस तरियां हारी-हारी लागै है,
माँ-बाप की लाचारी मै
आच्छी-मांडी ओलाद का पता लागै है,
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दीप..3337
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