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नये किस्म का नाटक

नये किस्म का नाटक

नये-किस्म-का-नाटक



★रै बिखरे पड़े है मोती ये आज फर्श प कुकर
अर तेरे ये खुले बाल तेरे दिल का हाल बतावै सै
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किस्म का नाटक कर के दिखावै सै...

★रै मौसम बदले,बहार बदली
बात-बात प खाई कसम एक नहीं तेरी हजार बदली
इब क्यूँ तु आँख्यां कै पाणि लगावै सै...
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किस्म का नाटक कर के दिखावै सै

★रै उजाडन मै कोये कसर ना छोड़ी
जिस्म तनै नोच खाया अर गोज में अठन्नी ना छोड़ी
बता इब तु के कहणा चावै सै..
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किस्म का नाटक कर के दिखावै सै

★झगड़े,लड़ाईयाँ तै दूर-दूर तक मेरा कुछ ना लेना-देना 
अर एक तु है जो मन्नै बार-बार
हाथां में हाथियार थमावै सै...
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किस्म का नाटक कर के दिखावै सै

★यो दीप लोहारी आला बंदा बडा खराब है
मन्नै सुनण मैं आया है आज-कल तु इस गेल
बहोत गणि बहार भीतर न जावै सै...
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किस्म का नाटक कर के दिखावै सै

~कुलदीप सभ्रवाल◆◆◆




★रै बिखरे पड़े है मोती ये आज फर्श प कुकर
अर तेरे ये खुले बाल तेरे दिल का हाल बतावै सै
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किस्म का नाटक कर के दिखावै सै...

★रै मौसम बदले,बहार बदली
बात-बात प खाई कसम एक नहीं तेरी हजार बदली
इब क्यूँ तु आँख्यां कै पाणि लगावै सै...
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किस्म का नाटक कर के दिखावै सै

★रै उजाडन मै कोये कसर ना छोड़ी
जिस्म तनै नोच खाया अर गोज में अठन्नी ना छोड़ी
बता इब तु के कहणा चावै सै..
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किस्म का नाटक कर के दिखावै सै

★झगड़े,लड़ाईयाँ तै दूर-दूर तक मेरा कुछ ना लेना-देना 
अर एक तु है जो मन्नै बार-बार
हाथां में हाथियार थमावै सै...
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किस्म का नाटक कर के दिखावै सै

★यो दीप लोहारी आला बंदा बडा खराब है
मन्नै सुनण मैं आया है आज-कल तु इस गेल
बहोत गणि बहार भीतर न जावै सै...
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किस्म का नाटक कर के दिखावै सै

~कुलदीप सभ्रवाल◆◆◆





★रै बिखरे पड़े है मोती ये आज फर्श प कुकर
अर तेरे ये खुले बाल तेरे दिल का हाल बतावै सै
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किसम का नाटक कर के दिखावै सै...

★रै मौसम बदले,बहार बदली
बात-बात प खाई कसम एक नहीं तेरी हजार बदली
इब क्यूँ तु आँख्यां कै पाणि लगावै सै...
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किसम का नाटक कर के दिखावै सै

★रै उजाडन मै कोये कसर ना छोड़ी
जिस्म तनै नोच खाया अर गोज में अठन्नी ना छोड़ी
बता इब तु के कहणा चावै सै..
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किसम का नाटक कर के दिखावै सै

★झगड़े,लड़ाईयाँ तै दूर-दूर तक मेरा कुछ ना लेना-देना 
अर एक तु है जो मन्नै बार-बार
हाथां में हाथियार थमावै सै...
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किसम का नाटक कर के दिखावै सै

★यो दीप लोहारी आला बंदा बडा खराब है
मन्नै सुनण मैं आया है आज-कल तु इस गेल
बहोत गणि बहार भीतर न जावै सै...
तनै दर्द का सच में बेरा पाट गया
या फेर नये किसम का नाटक कर के दिखावै सै

~कुलदीप सभ्रवाल◆◆◆























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