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जन्मदिन भूल गए




तेरी महफिल मे आके 
खुद को भूल गए..

देखा तुझे जिस-जिसने इक मरतबा
वो फिर घर का पता भूल गए..

निकल आये थे जिस रास्ते पे
हम वो रास्ता भूल गए..

वो मारकर गहरी चोट
दवा दिलाना भूल गए..

एक रोज लेकर गया था रकम उधार
अब वो रकम भी भूल गए..

कल तक देते थे जो मुबारकबाद
आज वो हमारा जन्मदिन भूल गए..

चलो दीप ये किस्सा ही खत्म करते हैं
वो हमें भूल गए 
और फिर हम जीना भूल गए..!

~कुलदीप सभ्रवाल

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