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लिखी थी चिठ्ठियां वो श्मशान हो गई


मोहब्बत बदनाम होती जा रही है
लिखी थी जो चिट्ठियां वो अब श्मशान होती जा रही है,,

उनके लोट आने की इक कस्क थी मन में
वो भी अब धिरे-धिरे से निशान होती जा रही है,,

मोहब्बत बदनाम होती जा रही है
लिखी थी जो चिट्ठीयां वो अब शमशान होती जा रही है,,


माना कि ख्वाब ऊंचे थे इश्क़-ए-फरेब करने वाले के
जो अब उनकी बेवफाई से बेजान होते जा रहे हैं,,

वक्त बेतहाशा दिया उनको बताने का
पर बता न सके जिसकी वजह से हम परेशान होते जा रहे हैं,,

मोहब्बत बदनाम होती जा रही है
लिखे थे जो खत वो अब शमशान होते जा रहे है,,


खिलोना समझ कर खेल गए वो तो
अब क्या कहें किसी को बस बेजुबान होते जा रहे हैं,,

मोहब्बत बदनाम होती जा रही है
लिखे थे जो खत वो अब श्मशान होते जा रहे है,,

कभी-कभार मिल जाते हैं 
अनजान राहों पर वो हंसते-मुस्कुराते
और इक हम है
जो आवारा लोगों की पहचान होते जा रहे हैं,,
मोहब्बत बदनाम होती जा रही है
लिखे थे जो खत वो अब श्मशान होते जा रहे है,,


मुकाम-ए-मंजिल पा चुके हैं वो तो
अब ज़रा सोचने की बात है 
"ए-दीप"
क्यों बिना वजह हम उनके कारण अपमान होते जा रहे हैं,,

मोहब्बत बदनाम होती जा रही है
लिखी थी जो चिट्ठीयां वो अब शमशान होती जा रही है,,

दीप...3337




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