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होसला-ए-मंजिल


मुझे धक्का मार कर गिरा दो तुम 
चलो कोई बात नहीं,,
मैं फिर से उठ जाऊंगा

मुझे जीते-जी दफना दो तुम 
चलो कोई बात नहीं,,
मैं फिर से निकल आऊंगा

मेरे होसलो को हिला दो तुम
ये मैं हरगिज़ न होने दुंगा,,
बस इतना याद रखना

होसला-ए-मंजिल कभी रुका नहीं करते
जब ताकत-ए-खुदाई साथ हो तो फिर किसी के सामने झुका नहीं करते,,

~कुलदीप सभ्रवाल

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