ये इश्क़ क्या चीज है
इसका हमें पता न था,
घर से निकली थी बाजार को मैं,
रास्ते में एक लडके ने किसी दुकान का
मुझसे यू ही राह चलते-चलते पता पूछ लिया,
फिर क्या था
एक छोटी सी बात पर,
सबने मिलकर मुझे बहोत ही ज्यादा टोरचर करना
शुरू कर दिया,
अभी उम्र कि कच्ची थी मैं,
पर इन दुनियावी चोचलों से कहा बच सकी थी मैं,
एक भ्रम ने ये क्या कर दिया,
देखते ही देखते घरवालों ने,
मेरा रिश्ता भी कहीं कर दिया,
खुद को खुद मैं समझ न पाई थी,
नादान सी गुडिय़ा को सास ने सब कुछ सिखा दिया,
इक छोटा सा कपडा मुझसे सम्भलता न था,
उस वक्त बडे से दुपट्टे का घूघंट करना बतला दिया,
कोई घर में बहार से आदमी आये तो दुपट्टे को मुहँ
पर लटकाना होगा,
और अगर वो चले जाये तो फिर दुपट्टा मुहँ से उठाना होगा,
घर की दिवारे बनवा दी बडी-बडी,
दरवाजे पर कभी ससुर जी रहते,
तो कभी रहती सास खडी,
ये सब देखकर मन मे मेरे ख्याल आया,
शायद मैंने बहोत बडा़ कोई गुनाह कर दिया,
जिस कारण मुझे सबने मिलकर हवालात के अंदर कर दिया,,,,
~कुलदीप सभ्रवाल
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