तेरी रूह मेरी रूह मे मिल जाए तो बात बने,
हर शाम ख्वाबों में आते रहते हो,
कभी रूबरू मिल जाओं तो बात बने,
यूं बिना वजह इलजाम लगाना अच्छी बात नहीं,
कोई वजह बनाकर इलजाम लगाओं तो बात बने,
हर बार गैरों कि गली से गुजर जाते हो चुपके-चुपके,
कभी हमारी गली से आओं तो बात बने,
ये इश्क़, ये महोब्बत सब फरेब है हमारे लिए,
कभी तुम हमसे करके दिखाओं तो बात बने,
कहते हैं जुदाई का मौसम सबसे बुरा होता है,
एक बार तुम हमसे मिलकर बिछड जाओं तो बात बने,
ये रसमें, ये रिवाज सब दुसरो के लिए बनी है,
जब अपने पर आए और वो निभा कर दिखाए तो बात बने,
यूं तो बिना जहर के भी मर जाते हैं लोग,
पर कोई किसी अपने खास को पिलाकर दिखाएं तो बात बने,
मेरी मंजिल को मैं खुद हांसिल कर लूंगा,
कोई रास्तों में पत्थर लाख बिछाए तो मैं क्या करूं,,
~कुलदीप सभ्रवाल
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