अपराध अपराधी और सीमा
अगर एक बार हम अपने अतीत मे झाक कर देखें तो
जो आज हो रहा है बिल्कुल ज्यों कि त्यों स्थिति नजर आयेगी, जैसे हमारे पूर्वज जुर्म सहते थे और विरोध करने मे अपनी विवशता जाहिर करते थे और एक-दूसरे पर जुर्म होते वक्त कुछ नहीं बोलते थे, आज हम भी हमारे देश में बिल्कुल उसी प्रकार कि स्थितियों को उत्पन्न करते जा रहे हैं, जो कल को हमारे भविष्य में बहुत बडी समस्या बनकर खडी हो जायेगी,
अपराध करने का न तो कोई समय होता है और न ही कोई सीमा, इस लोकतांत्रिक देश में अपराध को रोकने में केंद्र सरकार व राज्य सरकार हर प्रकार के प्रयास कर रही है, परन्तु इस प्रकार अकेले सरकार अपराध को खत्म नहीं कर सकती हमारा भी दायित्व है कि हम भी अपने आस पास होते जुर्म को रोकने के लिए हर सम्भव प्रयास करें और अपराध की जानकारी सरकारी विभाग में देने का काम करें,,
अपराध और अपराधियों को अगर हम चाहे तो काफी हद तक रोक सकते हैं, केवल संवैधानिक सीमा में रह कर के, हमारे संविधान ने हमें बहुत सारे अधिकार दिए है जो अपने मान सम्मान की रक्षा के लिए प्रदान किये हैं,
अतः अपने अधिकारों का कानून के दायरे मे रहकर इस्तेमाल करें और एक अपराध मुक्त भारत के सपने को साकार करने में अपनी अहम भूमिका निभाए..!
दीप...3337
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