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कलाम बनूंगा

सूरज को आसमान में चमकने के लिए
रात का इंतजार करना पड़ता है,
हर इंसान कलाम बन सकता नहीं,
पर कलाम जैसा बनने के लिए 
कठिन से भी कठिन 
दौर से गुजरना पड़ता है,
कभी गिरना तो कभी अपने आप 
सम्भलना पड़ता है,
भुख लगने पर खाना कम 
और पानी ज्यादा पीकर काम चलाना 
पड़ता है,
दिन-रात सिर्फ पढ़ना 
और अपने सपनों को हांसिल करने के लिए 
बीना पंख आसमां मे उडना पड़ता है,
कभी तपते चुल्हे मे लकड़ी की 
तरह जलना पड़ता है,
तब जा कर कहीं कोई सिम्पल सा 
दिखने वाला कलाम मिसाइल मैंन 
ऑफ द वर्ल्ड बनता है,,,

~कुलदीप सभ्रवाल

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