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हाँ मैं वेश्या हूँ

                   



हाँ मैं एक वेश्या हूँ
क्यों हूँ, कैसे बनी तुम मत पुछना
लूटते रहना और अपनी महानता के 
ये झूठे किस्से कहते रहना...
हाँ मैं एक वेश्या हूँ

खुद को रूलाया तुमको हँसाया 
कितना है दिल मे दर्द सबसे छिपाया, 
न किसी ने समझा और न ही हमें समझाया.... 
 हाँ मैं एक वेश्या हूँ

न कुछ पाने की चाह थी, 
फिर भी हर पल, हर लम्हा, 
सिर्फ़ दुख दर्द व सिसकियों कि आह थी, 
लोटने के लिए न कोई मंजिल और न ही कोई राह थी...
हाँ मैं एक वेश्या हूँ,,,,,।

~कुलदीप  सभ्रवाल

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