जो गुजरती है हम पर तो गुजर जाने दो,
ताश के पत्तों सी रही है,
जिंदगी ये दीप कि,
अब बिखरती है तो बिखर जाने दो,,,,
~कुलदीप सभ्रवाल
नफ़रतों-के-शहर नफ़रतों के शहर में प्यार बेच आया मैं, बस इक तेरा घर न मिला सारा शहर घुम …
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