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बिखर जाने दो

जो गुजरती है हम पर तो गुजर जाने दो,

ताश के पत्तों सी रही है,

जिंदगी ये दीप कि,

अब बिखरती है तो बिखर जाने दो,,,,


~कुलदीप सभ्रवाल

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