वो होकर कवि अपनी कविता से अनजान रहा,
वो महफिल होकर मुर्दों से भरा कब्रिस्तान रहा,
वैसे तो मेरे देश का इतिहास बडा ही गोरवशाली है,
पर मेरे देश का इंसान कभी न बदला,
वो हमेशा ही हिन्दू,मुसलमान रहा,,,
~कुलदीप सभ्रवाल
नफ़रतों-के-शहर नफ़रतों के शहर में प्यार बेच आया मैं, बस इक तेरा घर न मिला सारा शहर घुम …
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