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आदमी


रिश्तों में अनबन होनी है लाजमी,
जब तक गैरों कि सुनकर घर में आता रहेगा 
ये आदमी,,,

दौलत का नशा दौलत रहने तक ही रहता है,
शराब के नशे में सब सच् ही कहता है 
ये आदमी,,,

बंदिशों मे रहकर बंदी बनकर रह गया है,
आजादी का खुमार है सबसे बडा खुमार ऐसा कोई महापुरूष कह गया है,
फिर भी क्यूँ किसी लाचार को पिंजरे मे रखता है 
ये आदमी,,

पत्थर का टुकड़ा भगवान जैसा लगता है,
जिता जागता इंसान शैतान जैसा लगता है,
क्यूँ इस भेद भाव मे पडता जाता है 
ये आदमी,,,

जब कुछ ना हो पास तो गॉड खुदा चिल्लाता है,
अगर थोड़ा सा मिल जाये तो खुद भगवान बन  जाता है,
अब तुम ही बताओं क्या सही कर रहा है 
ये आदमी,,,

पहले दूसरों का खून चुस-चुस कमाता है,
फिर मंदिर मस्जिदों मे भंडारे लगवाता है,
क्या ऐसे करके पाप धुलवा लेगा 
ये आदमी,,,

अभी इस दुनिया से ये अनजान है,
धर्म और जात का भूत सर पे सवार है,
अगर यूं ही लड़ता रहा तो खतम हो जायेगा 
ये आदमी,,,

रिश्तों में अनबन होनी है लाजमी,
जब तक गैरों कि सुनकर घर में आता रहेगा 
ये आदमी,,,

~कुलदीप सभ्रवाल


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