समस्या-ए-बेरोजगारी
■ क्या होती है बेरोजगारी
योग्यता के अनुसार रोजगार/नौकरी/पैसा न मिलना ही बेरोजगारी कहलाती है.
■ रोजगार किसे कहाँ जाता है
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार के लिए कोई काम का मिलना जिससे भविष्य के लिए कुछ बचत कि जा सके, जैसे:-बैंक में हर महीने P.F का सेव होना.
मगर पकोड़ा तलना,ऑटोरिक्शा चलाना,चाय कि दुकान चलाना आदि सभी कार्य रोजगार में नहीं जीविका निर्वाह मे आते हैं,
ये बेरोजगारी और रोजगार मे आपको थोड़ा सा अंतर बताने की छोटी सी कोशिश कि गई है.
■ बेरोजगारी के प्रकार:-
(1) संरचनात्मक बेरोजगारी
इसमें नई वस्तु के आने से पुरानी वस्तु की किमत कम हो जाती है और पुरानी वस्तु के निर्माण में लगे लोग काफी हद तक बेरोजगार हो जाते है,अतःवस्तु की मांग में परिवर्तन आने को संरचनात्मक बेरोजगारी कहा जाता है।
जैसे:-स्मार्ट बोर्ड के आने से श्यामपट्ट का कार्य बिल्कुल ही खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है,घड़ी,टोर्च आदि कि मांग से आजकल बेहद परिवर्तन देखे जा रहे है ये सब संरचनात्मक बेरोजगारी मे आता है,
(2) घर्षणात्मक बेरोजगारी
वस्तु की मांग में अपडेट बदलाव आना जैसे कोरोना महामारी के आने से जो अध्यापक स्कूल में पढ़ाते थे उन्हें आचानक से ऑनलाइन पढ़ाने का कार्य करना पड़ा,जिस अध्यापक को ऑनलाइन पढ़ाने कि जानकारी नहीं थी उन्हें पढ़ाने के लिए ऑनलाइन कोर्स को सीखना पड़ा अतः अपने आप को अपडेट करना पड़ा और जो अपने आप मे बदलाव न ला सके वो बेरोजगार हो गए,
पोस्ट ऑफिस में कम्प्यूटर आने पर कर्मचारियों को कम्प्यूटर सीखना पड़ा आदि.
ये बेरोजगारी थोड़े समय तक ही रहती है,
(3) चक्रिय बेरोजगारी
ऐसी बेरोजगारी जिसमें लगे सभी लोग वस्तु की मांग पूर्ण रूप से खत्म होने पर बेरोजगार हो जाते है.
जैसे:-नोकिया फोन बंद होने से उसको बनाने में लगे लाखों लोगों का बेरोजगार हो जाना.
(4) प्रच्छंद/छिप्पी हुई बेरोजगारी
जब खेती में जरूरत से ज्यादा मजदूर लग जाये तो उसे छिप्पी हुई बेरोजगारी कहा जाता है.
जैसे:-एक खेत में घर के पांच सदस्य कार्य में लगे है और उनमें से दो कहीं चले जाये तो उत्पादन पर कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे कोई भी जाये.
(5) मौसमी बेरोजगारी
कृषि क्षेत्र में ज्यादा आती है फसल बोते-काटते समय, मजदूरी के समय,
पेंट के कार्य में,जूस बेचने पर गर्मी-सर्दी के मौसम में बदलाव से जूस कि बिक्री पर फर्क पड़ता है.
(6) शिक्षित बेरोजगारी
किसी भी व्यक्ति को योग्यता अनुसार रोजगार न मिलना/जॉब न मिलना,
ये सबसे खराब बेरोजगारी है जो आजकल पुरे देश के लिए चर्चा का मुख्य विषय बना हुआ है,
नोट :- NSSO (National sample survey office)
इस संगठन के द्वारा बेरोजगारी और गरीबी के आंकड़े बताये जाते थे जिसे अब खत्म कर दिया गया है।
■ हमारे भारत देश की कितनी प्रतिशत आबादी युवा है
भारत की कुल आबादी में 25 करोड़ से ज्यादा युवाओं की जनसंख्या हैं.
यानी भारत की आबादी का 18 फीसदी हिस्सा युवा है.
■ सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी
(Centre for Monitoring Indian Economy)
के अनुसार:-
देश में बेरोजगारी दर फरवरी में 8.10 फीसदी पर थी.
जो मार्च 2022 में घटकर 7.6 फीसदी रह गई है,
02 अप्रैल तक बेरोजगारी दर और घटकर 7.5 प्रतिशत रह गई है.
राज्यों के हिसाब से देखें तो हरियाणा में सबसे अधिक बेरोजगारी है। राज्य में बेरोजगारी दर 34.5% है वहीं राजस्थान में बेरोजगारी दर 28.8% दर्ज की गई है। हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी दर सबसे कम 0.2% रिकॉर्ड हुई, जबकि मध्य प्रदेश में यह 1.6% रही। इस तरह से सबसे कम बेरोजगारी दर मामले में मध्य प्रदेश देश में 6 स्थान पर है।
★सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार
देश में बेरोजगारी के आंकड़ों पर नजर रखने वाली निजी संस्था- सेंट्रल फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय बेरोजगारी दर अगस्त में 1.37% बढ़कर 8.32% हो गई। यह जुलाई में 6.95% थी।
हरियाणा में बेरोजगारी दर 35.7%, यह देश में सबसे ज्यादा,औसत से 4 गुना अधिक है.
इससे पहले कोरोना की पहली लहर के दौरान लगे लॉकडाउन के समय अप्रैल 2020 में बेरोजगारी दर 43.2% पर पहुंच गई थी, जो अब तक की सर्वाधिक है। अगस्त में शहरी बेरोजगारी दर 39.2% व ग्रामीण बेरोजगारी दर 33.6% रही। प्रदेश में जुलाई में बेरोजगारी दर 28.1% थी, जो अगस्त में 7.6% बढ़ गई।
देश में एक माह में लगभग 16 लाख जॉब गईं है
देश में कार्यरत लोगों की संख्या अगस्त में 39.77 करोड़ दर्ज की गई,जो जुलाई में 39.93 करोड़ थी।इसमें बड़ी संख्या ग्रामीण इलाकों की रही है।
हरियाणा में जुलाई में शहरों में बेरोजगारी दर 38.4% थी, जो अब 0.8% बढ़कर 39.2% हो गई है। ग्रामीण क्षेत्र में जुलाई में दर 21% थी। अगस्त में 12.6% बढ़कर 33.6% हो गई है।
नोट:-हरियाणा सरकार की ओर से (सीएमआईई) की रिपोर्ट पर सवाल उठाए जाते रहे हैं और गलत बताया जाता रहा है, लेकिन खुद सरकार के पास बेरोजगारों का सही डेटा नहीं है।
पिछले दिनों सरकार की ओर से करीब लगभग 6 लाख बेरोजगार होने का अनुमान जताया गया था।
लेकिन ग्रुप-सी और डी की नौकरियों को लेकर होने वाले (CET)कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट के लिए अब तक
8 लाख से ऊपर युवा रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।
रोजगार पोर्टल पर 8,68,584 युवा रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।
सक्षम युवा रोजगार योजना में 3,87,871 रजिस्ट्रेशन हुए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है जब से कोरोना आया, तब से करीब डेढ़ साल में सरकारी नौकरी नाममात्र ही दी गई हैं। वहीं, जो भर्ती प्रक्रिया पहले से चल रही हैं वो भी लटकी हैं। जो परीक्षा होती हैं वो किसी न किसी वजह से रद्द हो जाती हैं। पुरानी नौकरी भी जा रही हैं।
युवाओं का कहना है कि पिछले कुछ समय में कई भर्ती रद्द हुई हैं। पीजीटी संस्कृत के 626, पीजीटी अंग्रेजी के 1035 की भर्ती रद्द की गई। जूनियर लेक्चरर सहायक के 61 पदों और आर्ट एंड क्राफ्ट टीचर्स के 816 पदों के लिए भर्ती की भी स्थिति ऐसी ही है।
जेबीटी के लिए भर्ती नहीं निकल रही है। ग्रुप-सी व डी को लेकर सीईटी के लिए 4 बार 2 साल से रजिस्ट्रेशन की तारीख बढ़ चुकी है, लेकिन कब टेस्ट होगा, कब नौकरी मिलेंगी, यह नहीं बताया जा रहा।
अब सरकार के द्वारा आस्वासन दिया गया है कि अगस्त 2022 में (CET) का पेपर ले लिया जायेगा।
■ बेरोजगारी से होने वाली समस्याएं:-
आसान शब्दों में कहे तो लगभग हर समस्या कि जननी बेरोजगारी को कहा जाये तो शायद गलत नहीं होगा,
क्योंकि हर दिन न जाने कितने युवा बेरोजगारी से तंग आकर खुदकुशी कर रहे है ये हम आये दिन रेडियो,टीवी,अखबारों में पढ़ते रहते हैं।न जाने कितने युवा गलत रास्ते को अपना रहे है कोई खोज खबर नहीं,
कोई नशा बेचने लगा है तो कोई दिन-रात नशे में डुबा हुआ दिखाई देने लगा है,यहां तक कि चंद पैसों के लिए एक आदमी दुसरे आदमी का खून भी करने लगा है,
कितने युवा इस बेरोजगारी के कारण आतंकवादीयों के साथ मिलकर जगह-जगह बारुद के बम्ब बनकर घुम रहे है,कितने युवा आये दिन नौकरी कि तलाश में इधर-उधर सर्दी-गर्मी मे भटकते रहते है और जब नौकरी नहीं मिलती है तो कोई जहर खा कर तो कोई गले में फंदा लगाकर जिंदगी को खत्म करने पर मजबूर बना दिया गया है,
सुनने में आता रहता है चंद कागज के टुकड़ों के लिए घर के घर तबाह किये जा रहे है किसी के बेटे को मार दिया गया है तो किसी की बेटी का बलात्कार करके जिंदा जला दिया गया है,ऐसी बेहद सारी आपराधिक घटनाओं को ये बेरोजगारी जन्म दे रही,देश का किसान-मजदूर अपने कर्ज से तंग आकर आत्महत्या कर रहा है, मगर यहां तो किसे को
किसी की कोई फिक्र नहीं है सिर्फ अपनी-अपनी टोकरी में रोटी को ढ़क कर बैठना सीख लिया है,चाहे कोई मरे या या जिये।
■ बेरोजगारी से निजात कैसे हो
(1) पढ़ाई के साथ साथ कोई ऐसा कार्य सिखना जो भविष्य में रोजगार का साधन बन सके.
(2) अच्छे से पढ़ाई करने के बाद नौकरी लगभग मिलना सम्भव है,मगर सरकारी नौकरी न मिले तो प्राईवेट सेक्टर में जॉब कि तलाश करें.
(3) खेती करने कि आजकल नई-नई तकनीके आ रही है ऐसी तकनीकों को अपना कर आप अपनी आमदनी बढ़ाने में कुछ हद तक कामयाब हो सकते हैं,
(4) अगर कोई व्यक्ति एग्रीकल्चर से पढ़ाई करने के बाद भी बेरोजगार है तो उसे अपना यूट्यूब चैनल बना कर किसानों भाईयों को खेती बाड़ी से जुड़ी बातों को लेकर जागरूक करने में अपना योगदान देकर युट्यूब से आमदनी कर सकता है,
(5)प्राईवेट सेक्टरों में योग्यता के अनुसार सेलरी के न मिलने से और काम करने के समय पर भी सरकारी नौकरी की तरह लिमिटेशन न होने की वजह से भी बेरोजगारी ज्यादा बढ़ रही है,
(6) सरकारी मेहकमों में रिक्त पदों को न भरने से भी ये बेरोजगारी देश के लिए बेहद बड़ी समस्या बनती जा रही है,
अतः उनको अच्छे से जाचं परख कर समय के हिसाब से रिक्त पदों को भर कर इसे कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है,
(7) बच्चों को स्कूल में ही कुछ कौशल विकास के कार्य सीखा कर उन्हें शुरुआत से आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है,जिससे सरकार उन्हें उनके कौशल के हिसाब से रोजगार मुहैया करा सके,या फिर वो अपना रोजगार खुद चलाने में कामयाब हो सके,
(8) बड़े बड़े उधोगों से दिनभर बेहद प्रदूषण होता है इन्हें सरकार के द्वारा ये निर्देश दिए जाने चाहिए कि कम से कम 5-6 व्यक्ति ये पेड़ पौधे लगाने के लिए रखे और उन्हें अच्छी पगार भी दे तथा सरकार इनकी देख-रेख के लिए खुद अपने कर्मचारियों को न्युक्त करें,और इन्हें हर साल पेड़-पौधे लगाने का टारगेट भी देते रहे,ऐसा करने से बहुत से लोगों को रोजगार मिलेगा और हमारे प्रर्यावरण का भी ध्यान रखा जा सकेगा,
(9) प्रत्येक घर में से सरकार कम से कम एक व्यक्ति को तो योग्यता के हिसाब से सरकारी नौकरी जरूर दे ताकि घर मे आने वाली तंगी से कुछ समय तक तो बचा जा सके या माँ-बाप कि सम्भाल के साथ-साथ भाई-बहन को भी अच्छे से पढ़ाया जा सके,
(10) जो बच्चे आर्मी में जाना चाहते है और किसी कारण वस उनका चयन नहीं होता है तो ऐसे बच्चों के लिए कुछ अलग से योजना बनाई जाये ताकि ये बच्चे देश को युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न होने पर सहायक बनाकर खड़ा किया जा सके और थोड़ी बहुत ट्रेनिंग देकर देश सेवा का भी मौका दिया जा सके,ऐसे बच्चों के लिए सरकार को अलग से पॉलिसी बनाकर उन्हें बेरोजगारी भत्ता उपलब्ध कराने का काम किया जाये,
(11) जो बच्चे बिना पढ़े भी कुछ इंस्टरूमेंट बना लेते है उन्हें भी कहीं न कहीं सरकार रोजगार उपलब्ध कराये ताकि वो अपनी हस्तकला का गलत उपयोग न करें,
(12) गाँव-शहरों की पंचायतों को भी अपने बच्चों को रोजगार देने के बारे में सोचना चाहिए,किसी स्कूल में माली लगाकर, गाँव में सफाई की देख रेख करने की जिम्मेदारी देकर,या पहरेदार लगाकर आदि को उचित सेलरी पर रखा जा सकता है,
नोट:- हमारे इस ब्लॉग में जो आंकड़े दिये गए है वो हमनें
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी
(Centre for Monitoring Indian Economy) कि रिपोर्ट के आधार पर गुगल से ईकट्ठा कर के दिये है
अगर आपको कुछ भी गलत लगे तो हमे इसके बारे में कॉमेंट करके जानकारी जरूर दें।
◆ आप सभी दोस्तों का सपनों की डायरी ब्लॉग में बेहद स्वागत है, अगर आपको हमारे द्वारा दि गई जानकारी से थोड़ा बहुत भी फायदा हुआ है तो इस ब्लॉग को शेयर, करना लाईक करना और कॉमेंट भी जरूर करना।
~कुलदीप सभ्रवाल
1 Comments
बेहद महत्त्वपूर्ण जानकारी है और आज की सच्चाई हैं।
ReplyDelete