डिप्रेशन उभरती हुई समस्या
■ क्या होता है डिप्रेशन-
-डिप्रेशन( हिन्दी में अवसाद कहा जाता है)से हमारा तात्पर्य है मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों संबंधी दुख से होता है। इसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है।
आज के इस दौर में देश की अधिकतर आबादी इस भयानक बिमारी से ग्रस्त हो चुकी है,अकेले पन का शिकार व्यक्ति इससे पिडित हो सकता है, हमेशा उदास रहने वाला इंसान भी समझो इस बीमारी के चंगुल में आया हुआ मिलता है, तो आईये हम इस बिमारी के बारे में विस्तार से पढ़ते है आखिर कैसे होती है और क्या-क्या इसके लक्षण है, तथा कैसे समय रहते इसका उपचार किया जा सकता है,
◆ डिप्रेशन के लक्षण (Symptoms of Depression)-
-व्यक्ति हमेशा स्वयं उलझन में एवं हारा हुआ महसूस करता है। डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। किसी भी काम को करने में मन नहीं लगता है और परेशान सा रहने लगता है। दैनिक गतिविधियों की कमी,वजन तेजी से कम होना या तेजी से बढ़ना,नींद न आना,बेचैनी और उत्तेजना महसूस करना,हर वक्त थका हुआ महसूस करना, गिल्ट फील करना,खुदकुशी के विचार और हर वक्त हारा हुआ जैसा महसूस करना लगता है.
इसमें दुख,हार या गु़स्से की भावनाएं हो सकती हैं जिससे इंसान की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी सामान्य नहीं रह पाती. लोगों को अलग-अलग तरह से डिप्रेशन महसूस हो सकता है.डिप्रेशन की वजह से किसी के काम पर असर पड़ सकता है, जिससे प्रोडक्टविटी पर असर पड़ता है.
-हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च के अनुसार, डिप्रेशन(अवसाद)की बीमारी आंखों की रोशनी पर भी असर डालती है। पेट दर्द,पेट में ऐंठन, सूजन मानसिक कमजोरी का भी लक्षण हो सकता है। सिरदर्द: डिप्रेशन के कई लक्षणों में से एक है।
WHO कि पिछले कुछ वर्षों कि रिपोर्ट के अनुसार-
◆ देश का लगभग हर 21वां इंसान डिप्रेशन का शिकार है।
◆ पिछले 8 सालों में 50 फीसदी डिप्रेशन के मरीजों में बढ़ोतरी हुई है।
◆ विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में डिप्रेशन 18 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।
◆ भारत में करीब 6 करोड़ लोग डिप्रेशन के शिकार हैं।
डिप्रेशन दरअसल खराब लाइफ स्टाइल के कारण होने वाली बिमारियों में से एक है। लाइफ स्टाइल के कारण डिप्रेशन किस तरह लोगों को चपेट में ले रहा है, इसपर हाल ही में निमहंस ने 30 से 49 साल की आयु के लोगों पर शोध किया। इस शोध के रिपोर्ट के मुताबिक –
◆ 38% नौकरीपेशा लोग 6 घंटे से कम नींद लेते हैं।
◆ 57% व्यायाम नहीं करते,क्योंकि उनके पास समय का अभाव होता है।
◆ 48% काम के वक्त बहुत अधिक थकान महसूस करते हैं।
◆ 27% लोगों को लगातार सिर में दर्द रहने कि वजह से।
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि लोगों को पता भी नहीं होता कि वो धिरे-धिरे डिप्रेशन कि चपेट में आ रहे होते हैं। ऐसा होने पर लोग सोचते हैं कि उन्हें थकान या कोई और परेशानी है जो कुछ ही दिनों में ठीक हो जाएगी। यही वजह है कि खुदकुशी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। सुसाइड के सबसे ज्यादा मामले इन दिनों डिप्रेशन के कारण सामने आ रहे हैं।
● विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में हर साल 8.0 लाख लोग आत्महत्या कर लेते हैं। हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति तनाव के चलते मौत को गले लगा लेता है। ये आंकड़े तो रिकॉर्ड में दर्ज है, लेकिन असलियत और भी खतरनाक है।
डब्लूएचओ (WHO) के मुताबिक दुनिया में लगभग 264 मिलियन लोग डिप्रैशन (Depression) के शिकार हैं. मेडटॉक्स के अनुसार, यह एक ऐसी अवस्था है जब व्यक्ति का मन और दिमाग नेगिटिविटी और तनाव (Stress) और उदासी से भर जाता है और उसकी सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती है. यह भंयकर रुप तब ले लेता है जब इंसान लंबे समय तक इस अवस्था में रहता है।
★ डिप्रेशन के प्रकार-
(1) मेजर डिप्रेशन (Major Depression)
अगर आप सप्ताह में हर दूसरे-तीसरे दिन डिप्रेस फील करें तो इसे मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर कहा जाता है. ऐसे में लोग हर दूसरे-तीसरे दिन उदास सा महसूस करते हैं.
अन्य लक्षण जैसे दैनिक गतिविधियों की कमी,वजन का तेजी से कम होना या तेजी से बढ़ना, नींद न आना, बेचैनी और उत्तेजना महसूस करना, हर वक्त थका हुआ महसूस करना, गिल्ट फील करना, खुदकुशी के विचार और हर वक्त हारा हुआ जैसा महसूस करना लगता है. अगर ऐसे लक्षण भी आपमें हैं तो डॉक्टर से जल्दी से संपर्क करना चाहिए.
(2) मेलानकॉलिक डिप्रेशन (Melancholic
Depression)
यदि आपको मेलानकॉलिक डिप्रेशन है तो सुबह उठने के बाद आपके अंदर मेजर डिप्रेशन के लक्षण नजर आएंगे.
यह सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है.
(3) पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर (Persistent depressive disorder)
अगर आप दो साल या उससे अधिक समय से अवसाद में हैं तो आप लगातार परसिसटेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर से पीड़ित हैं. इस डिसऑर्डर में दो स्थितियां होती हैं जिन्हें डिस्टीमिया और क्रोनिक मेजर डिप्रेशन कहा जाता है. ऐसा होने पर या तो भूख बिलकुल नहीं लगती या जरूरत से बहुत अधिक खाना खाने लगते हैं.नींद भी या तो बहुत ज्यादा आती है या फिर बहुत कम हो जाती है. कमजोरी,निराशा आदि महसूस होती है.
(4) बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder)
इसमें आपके व्यवहार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. यह भयानक डिप्रेशन का रूप भी ले सकता है. ऐसी स्थिति में मेडिटेशन बेहद जरूरी होता है.
(5) सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (Seasonal affective disorder- SAD)
ये अक्सर सर्दियों के महीनों में देखने को मिलता है.जबकि गर्मी या अन्य मौसम में इससे राहत रहती है. इन मरीजों को डाक्टर की सलाह के बाद दवाई लेना सही रहता है और थेरेपी भी काफी फायदेमंद होती है.
(6) साइकोटिक डिप्रेशन (Psychotic Depression)
इस प्रकार के डिप्रेशन में लोग मानसिक अवसाद से घिरे होते हैं जो किसी घटना की वजह से भी हो सकता है. इसके लक्षण हैं अजीब-अजीब से सपने आना,भ्रम होना,
पागलपन आदि.
(7) पोस्टपार्टम डिप्रेशन या पोस्ट डिलीवरी डिप्रेशन
कई महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद महीनों तक अवसाद होता है जो कई बार मां और बच्चे की सेहत को भी नुकसान पहुंचा सकता है. इस प्रकार के डिप्रेशन में परिवारिक देखभाल बहुत जरूरी होती है, देखभाल के अभाव में महिलाएं डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं.
◆ आखिर किन कारणों से होता है ये रोग-
कभी-कभी जीवन में आने वाली परेशानीयों से परेशान हो कर लोग इस बिमारी का शिकार हो जाते हैं,जीवन में ज्यादा उदास रहने लग जाते हैं, किसी बात को लेकर सारा दिन ख्यालों में गुमसुम रहने लग जाते हैं किसी से बात न करने के कारण चिडचिडापन से भर जाते है और फिर इलाज न करवाने के अभाव में ये बिमारी उस इंसान पर अपनी पकड़ बनाती चली जाती है जिस कारण इंसान मानसिक रूप से कमजोर और पागल हो जाता है,
जैसे:-
(1) बच्चों में पढ़ाई को लेकर परीक्षा में फैल होने से,अधिक पढ़ने से नम्बर कम आने पर,स्कूल/कॉलेज में रैगिंग कि वजह से,खेलों में सिलेक्शन न होने की वजह से.आर्मी जैसी नौकरी की सालों से तैयारी करने पर जब सिलेक्शन नहीं होता है तो अपने सपना टुटने के कारण बच्चे डिप्रेशन में आकर खुदकुशी तक कर लेते हैं,
(2) किसानों में ये बिमारी फसल न होने के कारण से,कर्ज न चुकाने की वजह से,फसल अगर हो भी गई तो उचित दाम न मिलने के कारण से,या फिर जमींदारों के द्वारा जो कर्ज दिया जाता है उसको न चुका पाने पर अधिक तंग किया जाता है जिसके कारण ये अवसाद का शिकार हो जाते हैं, इतनी महंगाई के दौर में मजदूर घर खर्च को न चला पाने की वजह से डिप्रेशन से ग्रस्त हो रहे हैं.
(3) महिलाएं इस बिमारी से कैसे ग्रस्त हो रही है आजकल तो सबसे ज्यादा महिलाएं घरों में होने वाले झगड़ों से,दहेज आदि के कारण शादी टुटने पर,आवारागर्दो के द्वारा परेशान करने से,आये दिन होने वाले रेप कि घटनाओं से,
घर वालों के द्वारा स्कूल से निकलने पर आगे न पढ़ाने की वजह से,प्रेम-प्यार के हेर फेर में फसकर दिल टुटने के गहरे अफसोस के कारण,कुछ गैरसामाजिक तत्वों के द्वारा फेस पर तेजाब डालने से काफी लड़कियाँ पिछले कुछ वषों से डिप्रेशन का शिकार होती जा रही है.
(4) लड़के भी आजकल बेहद ज्यादा डिप्रेशन का शिकार हो रहे है,किसी छोटे अधिकारी को नौकरी करते समय बड़े अधिकारी के द्वारा अधिक परेशान करने पर,दहेज उत्पीड़न,चोरी,डकैती,मारपीट,छेड़छाड़ के आरोप आदि के झुठे केसों में फसाकर,रोजगार न होने के कारण,जात-पात धर्म आदि का शिकार होने के बाद बहुत सारे लडके इस बिमारी कि चपेट में आते रहते हैं,ज्यादातर लड़के प्यार में पड़ कर डिप्रेशन में चले जाते हैं,और सुसाइड तक कर लेते हैं,
■ डिप्रेशन से खुद को कैसे बचाएं :-
(1) आपको सुबह उठते ही मेडिटेशन करना चाहिए.इसका नियमित अभ्यास करने से दिमाग से नकारात्मक विचार निकल जाते हैं.अध्यात्म के सहारे आप खुद को अकेला नहीं समझते हैं और धीरे-धीरे इस रोग से उभरने लगते हैं.
(2) गीत-संगीत सुनना भी एक सहायक टिप है, जो आपके तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है. आप म्यूजिक की सहायता से अपना मूड बेहतर बना सकते हैं बस इस बात का ध्यान रखें कि इंजॉय फुल म्यूजिक सुनें,
(3) सुबह-सुबह बहार टहलने के लिए हर रोज जाना चाहिए.प्रकृति और पेड-पौधों से प्यार करना दिमागी शांति के लिए बेहद फायदेमंद होता है. धीरे-धीरे प्रकृति की सहनशीलता आपके अंदर प्रवेश करने लगती है और ऐसे में आप नकारात्मक विचारों से काफी हद तक छुटकारा पा सकते हो.
(4) नियमित व्यायाम करने से हमारे मन में खुशी के जो हॉर्मोन्स होते है उनका प्रोडक्शन बढ़ने लगता है.जो कि हमारे उदास मन को खुशनुमा बनाने में हमारी हमेशा मदद करते हैं और हम डिप्रेशन से बहुत जल्द बाहर आ सकते जाते हैं.
(5) कई शोधकर्तोओं ने यह बताया है कि में यह बात जो लोग पालतू जानवर रखते हैं,उनका मानसिक संतुलन बहुत ज्यादा मजबूत होता हैं.पालतू जानवर आपका अकेलापन दूर करने में काफी मददगार होते हैं.
(6) खुद को अकेलेपन से जितना हो सके दूर रखे,और परिवार,दोस्तों में अपने आपको व्यस्त रखने की कोशिश करें,और किसी एक बात के बारे में ज्यादा न सोचे,खुद को खुश रखने में हर सम्भव प्रयास करते रहें,
(7) किसी टुरिस्ट स्थान पर घुमने अवश्य जाये ताकि मन को खुशी मिले और वहां से कुछ समान वैगरह खरीद कर लाये ताकि वो लाया गया समान आपको याद रहे कि कहां से और कब लाये थे. इससे आपकी यादाश्त भी तेज होती है,
(8) ज्यादा गर्मी में बहार जाने से जरूर बचे तथा भीडभाड़ वाली जगह पर जाने से भी खुद को बचाये,
(9) किसी भी प्रकार की समस्या होने पर अपने परिवार वालों से या फिर दोस्तों से अवश्य शेयर करें ताकि समस्या का हल किया जा सके क्योंकि ऐसी वैसी समस्या ही आजकल इस बिमारी का खास कारण बन रही है,
(10) असामाजिक तत्वों से बच कर रहें ताकि आप पर कोई झुठा केस ना लगे और आप इन समस्याओं से बच कर अपने मन को शांत रखकर इस बिमारी से बच सके,
नोट :- ये जो हमारे द्वारा आपको डिप्रेशन जैसी बिमारी से बचने के बारे में बताया गया है वो किसी भी प्रकार की डिप्रेशन से बहार आने कि सम्पूर्ण जानकारी नहीं है,ये एक बेहद खतरनाक बीमारी है
अतः इस इसके ईलाज के लिए जल्द से जल्द किसी डिप्रेशन विषेशज्ञ से अवश्य मिले ताकि आपका समय रहते उपचार किया जा सके।
साइकोलॉजी वह विज्ञान है, जिसमें बिना दवाइयों से सोच में बदलाव लाकर इंसान को ठीक किया जाता है. एक साइकोलॉजिस्ट जहां काउंसलिंग से लोगों की थेरेपी करता है, वहीं एक साइकेट्रिस्ट विशेषज्ञ एमबीबीएस डॉक्टर होते हैं, जो थेरेपी के साथ दवाइयां भी देते हैं और इस बिमारी से ग्रस्त लोगों का उपचार करते हैं.
◆◆ हमारे द्वारा आपको जो भी जानकारी दि गई है वो गुगल से या कहीं-कहीं से जानकारी इकट्ठा करके दी गई है अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी से कुछ भी लाभ होता है तो हमारी इस जानकारी के लिए इसे लाईक करें,शेयर करें,और कॉमेंट तो जरूर ही करें,
धन्यवाद।
~कुलदीप सभ्रवाल
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