खराब है
जिस दिन से तुम गए हो
यहाँ के हालात खराब है,सबकी तबियत खराब है
सुना है बेसहारों का सहारा बनते थे तुम
फिर इस मामले में क्यूँ हमारा मुकद्दर खराब है,,
अखरो ने खुद को समझा लिया है
एक लै,सुर,ताल मे सजा लिया है
ये सब देख कर हमारे जज्बात खराब है
थोड़े अल्फ़ाज़ खराब है,तो थोड़े हम भी खराब है,,
बदनसीब कहें या खुशनसीब खुद को
तुम्हारा दिदार तो हुआ लेकिन पल्लू भर सरकने से
इक इल्तज़ा है उनकी महफिलों मे मत जाना
यहाँ सिर्फ मैं खराब हूँ,उनका तो पुरा कुनबा खराब है,,
हर शख्स से इतनी नर्मी से पेश आना
तुम्हारे स्वभाव से ब्यां होता है
मगर हर किसी कि धड़कने इतनी गोर से मत सुना करों
इस दौर का तो बच्चा-बच्चा खराब है,,
समझते हो सबको खुद के जैसा तुम
तुम्हारी नियत साफ है तो क्या सबकी साफ है,
झुठा,फरेबी,आवारा न जाने क्या-क्या नाम दिये है
दुनिया वालों ने दीप लोहारी को
तुम भी ज़रा इससे बचके रहना ये बन्दा ही खराब है,,
जिस दिन से तुम गए हो
यहाँ के हालात खराब है,सबकी तबियत खराब है
सुना है बेसहारों का सहारा बनते थे तुम
फिर इस मामले में क्यूँ हमारा मुकद्दर खराब है,,
~कुलदीप सभ्रवाल
खराब है
जिस दिन से तुम गए हो
यहाँ के हालात खराब है,सबकी तबियत खराब है
सुना है बेसहारों का सहारा बनते थे तुम
फिर इस मामले में क्यूँ हमारा मुकद्दर खराब है,,
अखरो ने खुद को समझा लिया है
एक लै,सुर,ताल मे सजा लिया है
ये सब देख कर हमारे जज्बात खराब है
थोड़े अल्फ़ाज़ खराब है,तो थोड़े हम भी खराब है,,
बदनसीब कहें या खुशनसीब खुद को
तुम्हारा दिदार तो हुआ लेकिन पल्लू भर सरकने से
इक इल्तज़ा है उनकी महफिलों मे मत जाना
यहाँ सिर्फ मैं खराब हूँ,उनका तो पुरा कुनबा खराब है,,
हर शख्स से इतनी नर्मी से पेश आना
तुम्हारे स्वभाव से ब्यां होता है
मगर हर किसी कि धड़कने इतनी गोर से मत सुना करों
इस दौर का तो बच्चा-बच्चा खराब है,,
समझते हो सबको खुद के जैसा तुम
तुम्हारी नियत साफ है तो क्या सबकी साफ है,
झुठा,फरेबी,आवारा न जाने क्या-क्या नाम दिये है
दुनिया वालों ने दीप लोहारी को
तुम भी ज़रा इससे बचके रहना ये बन्दा ही खराब है,,
जिस दिन से तुम गए हो
यहाँ के हालात खराब है,सबकी तबियत खराब है
सुना है बेसहारों का सहारा बनते थे तुम
फिर इस मामले में क्यूँ हमारा मुकद्दर खराब है,,
~कुलदीप सभ्रवाल
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