Random Posts

कुछ लोग चाहते है

कुछ लोग चाहते है

कुछ-लोग-चाहते-है





कुछ लोग चाहते हैं
कि हम उनसे रूठ जाये 
उम्र भर के लिए ए-दीप


अब ऐसे जालिम लोगों को
भला ये कौन बतलाये
कि हमारी फितरत में नहीं है
यूं ज़िंदगी में आकर के
कभी रूठना तो कभी मन जाना


किसी की उलझन भरी बातों में
उलझ कर के
खुद को किसी की नज़रों से गिरना


कुछ लोग चाहते हैं
कि हम उनसे रूठ जाये खुदा करके
खुदा करके


समझ में नहीं आता ए-दीप
क्यूँ ये चाहते है
हम बिछुड़ जाये अभी के अभी 
बिछुड़ जाये-बिछुड़ जाये


वो कह दे तो पल भर में ही मर जाये
वो चुप है तो बोलते है सारे के सारे
जो वो इक दफ़ा बोला गुमसुम हो जायेंगे ये सारे
पता नहीं क्यूं वो चुप है 
इतना शौर सुनकर के-इतना शौर सुनकर के


उनकी रहमत का सदका है
जो निभे जा रही है ये यारी
वरना तो ए-मेरे प्यारे किसी को नहीं है ये प्यारी
तेरी मेरी ये यारी-तेरी मेरी ये यारी 


कुछ लोग चाहते हैं
कि हम उनसे रूठ जाये खुदा करके
खुदा करके..!


~कुलदीप सभ्रवाल

Post a Comment

0 Comments