उसके खुदा ने
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उसके - खुदा - ने |
●बेहद खामोश रहती है वो
शायद उसने दुखों का समंदर देखा होगा,
●बात-बात पर आँखें छलका देती है वो
लगता है उसने मौत का मंजर देखा होगा,
●ख्वाहिशों का गला घोंट दिया गया हो जैसे
उम्र-ए-नादानी में,
दर्द भरा खंजर किसी ने दिल में तो घोपा होगा,
●लगी रहती है अब वो
जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश में
मगर उसने खुद को न जाने कितनी दफ़ा
खुशियाँ मनाने से रोका होगा,
●मर-मर के जिये तो कैसे जिये सब कहते है यहां
मगर मरने से भी उसे किसी फरिस्ते ने तो रोका होगा,
●ए-कुदरत लादो तबाही तुम इस जहां में
इक पल में उसने हजारों दफ़ा ये सोचा होगा,
●अब मत ले इम्तिहान इतने ए-जादुगर
इस दरिया दिल इंसान के,
कहीं ये टूट न जाये तेरे इस गुलिस्तान में,
अंदर ही अंदर अपने आपको ऐसा उसने बोला तो होगा,
●ए-दीप कर दुआ तु अपने खुदा से
लगता है ऐसे शायद उसके खुदा ने
वक्त बुरा आने पर उसे दिया तो धोखा होगा,
~कुलदीप सभ्रवाल◆◆◆
उसके खुदा ने
●बेहद खामोश रहती है वो
शायद उसने दुखों का समंदर देखा होगा,
●बात-बात पर आँखें छलका देती है वो
लगता है उसने मौत का मंजर देखा होगा,
●ख्वाहिशों का गला घोंट दिया गया हो जैसे
उम्र-ए-नादानी में,
दर्द भरा खंजर किसी ने दिल में तो घोपा होगा,
●लगी रहती है अब वो
जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश में
मगर उसने खुद को न जाने कितनी दफ़ा
खुशियाँ मनाने से रोका होगा,
●मर-मर के जिये तो कैसे जिये सब कहते है यहां
मगर मरने से भी उसे किसी फरिस्ते ने तो रोका होगा,
●ए-कुदरत लादो तबाही तुम इस जहां में
इक पल में उसने हजारों दफ़ा ये सोचा होगा,
●अब मत ले इम्तिहान इतने ए-जादुगर
इस दरिया दिल इंसान के,
कहीं ये टूट न जाये तेरे इस गुलिस्तान में,
अंदर ही अंदर अपने आपको ऐसा उसने बोला तो होगा,
●ए-दीप कर दुआ तु अपने खुदा से
लगता है ऐसे शायद उसके खुदा ने
वक्त बुरा आने पर उसे दिया तो धोखा होगा,
~कुलदीप सभ्रवाल◆◆◆
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