याद रहेंगे
मेरे गीत तुम्हें याद रहेंगे
मेरे संगीत तुम्हें याद रहेंगे
इन बिचौलियों से नफरत क्या करना
जिस दिन ये ना रहे
उस दिन तुम्हें इनके नाम याद रहेंगे,
धर्म,मजहब,जात-पात ये तो सदियों का खेल है
अगर देश गुलाम हुआ तो तुम्हें तुम्हारे हालात
याद रहेंगे,
सुना है अल्लाह भगवान दो अलग-अलग खुदा है
फिर क्यूँ ये इंसान एक आसमां के नीचे
एक साथ जी रहें है..
भला ऐसे कारनामे किसे कहां तक याद रहेंगे,
खतरे में तो सब नज़र आते है
मगर एक-दुसरे से लडकर कब तक ये खतरों से बहार रहेंगे,
ए-दीप अभी हवा खराब हुई नहीं है
लेकिन मानने की बात है अगर मिलजुलकर न रहें
तो इतिहास के पन्नों में भी ऐसे मामले याद रहेंगे.।
~कुलदीप सभ्रवाल
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