जिंदगी तु ही बता
जिंदगी तु ही बता किस ओर जाना है
या फिर यूं ही तुम्हें खाली रखना मेरा पैमाना है,
जिंदगी तु ही बता किस ओर जाना है,
कामयाबी की एक-एक झलक को
तरस रही है ये अँखियाँ
अब तो बता दे हमें किस ओर जाना है
जिंदगी तु ही बता किस ओर जाना है,
हर तरफ करिश्मे पर करिश्मे हो रहे है
मगर मेरी गली में घनघोर अंधेरों ने
बना रखा आसियाना है
जिंदगी तु ही बता किस ओर जाना है,
अब तलाश में रहता हूँ उन ठिकानों कि
जहाँ किसी का न आना-जाना है
जिंदगी तु ही बता किस ओर जाना है,
मेरे शहर की रोनक खोने लगी है
अब ज़रा इतना बता दे जुगनुओं का
किस गाँव में ठिकाना है
जिंदगी तु ही बता किस ओर जाना है,
ए-जिंदगी तु बेवजह नाराज है इस दीप से
तुम्हें शायद खबर नहीं
इसे तो जल-जल कर एक दिन खत्म हो जाना है
जिंदगी तु ही बता अब किस ओर जाना है..।
~कुलदीप सभ्रवाल
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