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एक समीक्षा मंडी फिल्म


भारत देश में आज के समय जो महिलाओं की स्थिति है वह चिंता जनक है, भारतीय सिनेमा के महान निर्देशक और पटकथा लेखक (श्याम बेनेगल जी) जिन्हें "दादा साहेब फाल्के"पुरस्कार से नवाजा गया है उन्होंने अपनी एक बहुचर्चित फिल्म (मंडी ) मे महिलाओं कि समाज में क्या स्थिति है उसको काफी समय पहले अपनी फिल्मों के माध्यम से स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने का काम किया है,

इस फिल्म मे एक महिला है जो बाई का किरदार निभा रही है जो नाचने-गाने काम करती है जिसके साथ अन्य महिलाएं भी रहती हैं जो नाच-गा कर अपना जीविका का निर्वाह करती हैं, बाई इन सभी महिलाओं की नेता है जिसके साथ गुप्ता नामक व्यक्ति अपने नाजायज सम्बंध बनाता है और पैसों का रोब दिखा कर न तो उसे अपनाने काम करता है बल्कि उसको दबाकर भी रखता है!

    इन सब बातों के चलते बाई एक लड़की को जन्म देती है, जो बडी हो करके नाचने गाने का कार्य करती है, एक दिन गुप्ता उसे अपने बेटे की सगाई पर नाच गाने के लिए घर बूला लेता है अब यहां पर गुप्ता के बेटे को उससे प्यार हो जाता है, परन्तु जब ये बात गुप्ता को पता चलती है तो वह बाई और उसकी बेटी को उनके घर से निकलवा देता है!

       इस फिल्म के माध्यम से बेनेगल जी बताना चाहते है कि कैसे इस पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं को पैसे के बलबूते पर इस्तेमाल किया जाता है, और फिर उसे समाज में बदनाम करके छोड़ दिया जाता है, और फिर ये पुरूष प्रधान समाज कैसे खुद को साफ चरित्र होने का नाटक करता है, जो महिलाओं को इस समाज मे गंदगी भरी जिंदगी को जीने पर विवश कर देता है?

    श्याम बेनेगल जी ने हमारे समाज में महिलाओं कि जो स्थिति उस समय थी उसको अपनी फिल्मों के माध्यम से अच्छे से स्पष्ट करने का कार्य किया है,

जो शायद आज भी ऐसी कि ऐसी बनी हुई है !


दीप...3337

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