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दरिंदगी एक वारदात

दरिंदगी एक वारदात 


        प्रिय पाठकों आज का जो समय है वो अतयंत ही दुखदाई होता जा रहा है। खास कर महिलाओं के लिए क्योंकि हर गली चोराहे पर हमारी बहन बेटीयों का शोषण हो रहा है, जो बहुत ही चिंता का विषय बन गया है। महिलाओं के साथ आए दिन भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य देशों कि भी रेप जैसी दरिंदगी कि खबरें सुनने को मिलती रहती है।


       अगर हम ध्यान से देखें तो अन्य देशों के बजाये हमारे भारत देश में बलात्कार कि घटनाएं बहुत अधिक है, इसकी खास वजह क्या हो सकती है शायद अभी तक तो देश में रेप के खिलाफ कोई कठोर कानून न बनाने को ही बताया जा रहा है। परन्तु हम कुछ रेप केसों को देखें तो कोई और भी वजह निकल कर सामने आती है, जैसे कि अभी हाथरस मे जो दरिंदगी की घटना सामने आई है उसमें एक लकड़ी के साथ मुख्य रूप से चार लड़कों को आरोपी बताया जा रहा है।

  परन्तु इसके बावजूद जो पुलिस प्रशासन ने कार्य किया है वो और भी पीड़ादायक है,जिसमें बताया जा रहा है कि पीड़िता को कोई उचित उपचार नहीं मिला और पीडिता के मरने के बाद उसकी लाश को भी उनके घरवालों कि गैर मोजूदगी मे केमिकल डाल कर जला दिया गया।

    अब इतना सब होने के बाद भी इस दुखदाई घटना को जाति विशेष से जोड़ कर देखा जा रहा है, और हमारे देश कि सबसे बड़ी समस्या हमेशा से यह रही है कि हर अपराधिक घटना को पहले तो जाति और धर्म के आधार पर देखा जाता है।और हमारे देश की जो न्यायिक प्रक्रिया है वो भी इन्हीं कारणों से धीमी हो गई है।जिसका मुख्य कारण शायद आप और हम ही हैं,

क्योंकि हमारे समाज के लोग एक तरफ तो पीड़िता को न्याय दिलवाने के कि बात करते हैं और दूसरी तरफ आरोपियों को बचाने की तरकीबें भी बनाते रहते हैं।

जिस कारण निर्भया जैसी बहन बेटीयों को इतने वर्षों तक न्याय नहीं मिल पाता है।और मुजरिमों को फांसी जैसी कठोर सजा देने के बावजूद भी हमारे देश में रेप की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है, हमारे देश मे आये दिन लगभग 88 रेप के मामले दर्ज होते हैं, और साल में लगभग 32033 मामले दर्ज होते हैं जिनमें से लगभग 11 फीसदी दलित समुदाय से होते हैं।

     हमारे इस धर्मनिरपेक्ष और एकता व अखंडता वाले देश मे अगर इस रेप जैसी घटनाओं का कथित तौर पर मिलजुल कर धर्म और जाति से ऊपर उठ कर विरोध किया जाए तो इन समस्याओं को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

  ( एक कदम रेप मुक्त भारत की तरफ ) 


लेखक दीप...3337

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