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हमदर्द


इस दर्द भरी दुनिया में,
वो हमदर्द बनके आया,
जो आगे चलकर दोस्त कहलाया,

गमों के अंधेरे थे, दुखों कि छांंव थी,
दरिया था बहुत गहरा,
ऐसी मुश्किल घड़ी में वो नाव बनकर था आया,
जो आगे चलकर दोस्त कहलाया,

दिल चकनाचूर था,
ये सब तो मेरी ही वफा का कुसूर था,
इस बेवफा आसमान में,
वो वफा के बादल फिर से था लाया,
जो आगे चलकर दोस्त कहलाया,

उंंच-नीच से अनजान था वो,
मेरे दुश्मनों के लिए अकेला हि सुल्तान था वो,
दिल और जान से उसने मेरा साथ निभाया,
जो आगे चलकर दोस्त कहलाया,

सपनों के सागर मे डुबा रहता था वो,
हर बात मे फैन ओफ इण्डियन आर्मी कहता था वो,
एक दिन आर्मी मे जाकर वो अपना सपना पुरा कर आया,
गर्व की बात है कि दोस्त मेरा साथ तिरंगा लाया,
जो आगे चलकर देश मेरे का वीर सपुत कहलाया,

~कुलदीप सभ्रवाल

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